۱۴ خرداد ۱۴۰۳ |۲۶ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | Jun 3, 2024
शरई

हौज़ा / एहतियाते वाजिब की बिना पर (कसीफ)गोबार को हल्क तक पहुंचाना रोज़ा को बातिल कर देता है चाहे गोबार किसी ऐसी चीज़ का हो जिसका खाना हलाल हो जैसे आटा या किसी ऐसी चीज़ का हो जिसका खाना हराम हो जैसे मिट्टी

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल : क्या गोबार को हल्क तक पहुंचाने से रोज़ा बातिल हो जाता हैं?

उत्तर: एहतियाते वाजिब की बिना पर (कसीफ)गोबार को हल्क तक पहुंचाना रोज़ा को बातिल कर देता है चाहे गोबार किसी ऐसी चीज़ का हो जिसका खाना हलाल हो जैसे आटा या किसी ऐसी चीज़ का हो जिसका खाना हराम हो जैसे मिट्टी

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